आपकी अनुपस्थिति कांग्रेस को तक़रीबन एक यतीमखाने में तब्दील कर चुकी है। मुझे तो नहीं मालूम, मगर आपको बेहतर पता होगा कि साढ़े आठ साल पहले जो सोच कर आप चले थे, वह बीच में कहां और क्यों बिखर गया? लेकिन इतना ज़रूर मैं जानता हूं कि अगर अब भी आप अपने कोप-भवन में ही बैठे रहे तो न तो कांग्रेस के पितरों की आत्मा से न्याय करेंगे और न आने वाली नस्लों से इंसाफ़। इतने कर्तव्य-विमुख तो आप कभी लगते नहीं थे! अपने चिरंतन कर्तव्य-बोध की पुकार सुनिए, राहुल जी! माफ़ कीजिए, वरना इतिहास आपको माफ़ नहीं करेगा।
आदरणीय राहुल गांधी जी,
आज आपको कांग्रेस-अध्यक्ष पद छोड़े दो साल पूरे हो रहे हैं, सो, अपने दिलो-दिमाग़ में पछुआ बयार की तरह तैर रहे महज़ आठ साल पांच महीने पुराने दृश्यों का आप से ज़िक्र किए बिना मुझ से रहा नहीं जा रहा। उस दिन 2013 की सर्दियों का रविवार था। तारीख़ थी 20 जनवरी। मैं जयपुर के कांग्रेस अधिवेशन में पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के नाते उस मंच पर मौजूद था, जिस पर आप ने उपाध्यक्ष का पद संभाला था। उसके फ़ौरन बाद अपने भाषण में कही गई आपकी बातें मेरे मन को अब तक झंकृत किए हुए हैं। आपने कहा था:
‘‘…हम लीडरशिप डेवलपमेंट पर फ़ोकस नहीं करते। आज से 5-6 साल बाद ऐसी बात होनी चाहिए कि अगर किसी स्टेट में हमें चीफ़ मिनिस्टर की ज़रुरत हो तो जैसे पहले फ़ोटो हुआ करती थी कांग्रेस पार्टी की, उन में नेहरु जी, पटेल, आजाद, जैसे जायंट्स हुआ करते थे, उनमे से कोई भी देश का प्रधानमंत्री बन सकता था। यह बात हमें करनी है। हमें 40-50 नेता तैयार करने हैं, जो देश को चला सकें। सिर्फ़ प्रदेश को नहीं, देश को चला सकें। 40-50 नेता ऐसे तैयार करने हैं हर प्रदेश से। हमारे पास 5-6-7-10 ऐसे नेता हों जो चीफ़ मिनिस्टर बन सकें। और हर डिस्ट्रिक्ट में यह बात हो, हर ब्लॉक में यह बात हो। और अगर हमसे कोई पूछे की कांग्रेस पार्टी क्या करती है? कांग्रेस पार्टी हिन्दुस्तान के भविष्य के लिए नेता तैयार करती है। कांग्रेस पार्टी सेक्यूलर नेता, ऐसे नेता जो गहराई से हिन्दुस्तान को समझते हैं, जो जनता से जुड़े हुए हैं, वैसे नेता तैयार करती है। ऐसे नेता तैयार करती है, जिनको हिन्दुस्तान के सब लोग देख कर कहते हैं भैया हम इनके पीछे खड़े होना चाहते हैं।’’
‘‘तो लीडरशिप डेवलपमेंट की ज़रुरत है और इसके लिए ढांचे की ज़रुरत है, सिस्टम की ज़रुरत है, इनफ़ार्मेशन की ज़रुरत है, क्योंकि यहां पर जो नहीं होता है, इसलिए नहीं कि कोई चाहता नहीं है। इसलिए नहीं होता है कि कोई सिस्टम नहीं है। और सिस्टम बनाया जा सकता है। और इस सिस्टम को आप लोग बनाओगे और आप लोग चलाओगे।’’
‘‘हम टिकट की बात करते हैं। ज़मीन पर हमारा कार्यकर्ता काम करता है। यहां हमारे डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट बैठे हैं, ब्लॉक प्रेसिडेंट्स हैं ब्लॉक कमेटीज़ हैं, डिस्ट्रिक्ट कमेटीज़ हैं। उनसे पूछा नहीं जाता है। टिकट के समय डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट से नहीं पूछा जाता, संगठन से नहीं पूछा जाता, ऊपर से डिसीजन लिया जाता है। होता क्या है कि दूसरे दलों के लोग आ जाते हैं, चुनाव के पहले आ जाते हैं, चुनाव हार जाते हैं और फिर चले जाते हैं। और हमारा कार्यकर्ता कहता है भैया ये क्या? वो ऊपर देखता है, चुनाव से पहले ऊपर देखता है, ऊपर से पैराशूट गिरता है-धड़ाक! नेता आता है, दूसरी पार्टी से आता है, चुनाव लड़ता है, फिर हवाई जहाज में उड़ के चला जाता है।’’
‘‘तो सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता की इज्ज़त होनी चाहिए और सिर्फ कार्यकर्ता की इज्ज़त नहीं, नेताओं की इज्ज़त भी होनी चाहिए। नेताओं की इज्ज़त का मतलब क्या है? कि अगर नेता ने अच्छा काम किया है, अगर नेता जनता के लिये काम कर रहा है, चाहे वह जूनियर नेता हो या सीनियर नेता हो, जितना भी छोटा हो, जितना भी बड़ा हो, अगर वो काम कर रहा है तो उसे आगे बढ़ाना चाहिए। अगर वो काम नहीं कर रहा है तो उसको कहना चाहिए, भैया, आप काम नहीं कर रहे हो और अगर दो-तीन बार कहने के बाद भी काम नहीं करता है तो फिर दूसरे को चांस देना चाहिए।’’
‘‘और अंत में जो हमारे ही लोग हमारे खि़लाफ़ खड़े हो जाते हैं, चुनाव के समय इंडिपेंडेंट खड़े हो जाते हैं, जो इंडिपेंडेंट को खड़ा कर देते हैं, उनके खि़लाफ़ एक्शन लेने की ज़रुरत है। आप सब ये चीजें जानते हैं। मैं भी जानता हूं। सब लोग जानते हैं। कमी इंप्लिमेंटेशन में है। और हम इंप्लिमेंटेशन अगर मिल के करेंगे, यहां पे ज्ञान है, जानकारी है, हम ये काम कर सकते हैं और जिस दिन हमने ये काम कर दिया, हमारे सामने कोई नहीं खड़ा रह पाएगा। जिस दिन जनता की आवाज़ कांग्रेस पार्टी के अंदर गूंजने लगी – आज गूंजती है, बाकियों से ज्यादा गूंजती है – मगर जिस दिन गहराई से गूंजने लगेगी, जिस दिन पंचायत, वार्ड के लोग यहां आ के बैठ जाएं, उस दिन हमें कोई नहीं हरा पाएगा। और होगा क्या कि जो आज हमारे अंदर कभी-कभी गुस्सा आता है, दुःख होता है, फ्रस्टेªशन आती है, वो कम हो जाएगा, मुस्कुराहटें आ जाएंगी। लोग कहेंगे, भैया मज़ा आ रहा है, विपक्षी पार्टियों को हराते हैं, मजे़ से लड़ेंगे, मज़े से जीतेंगे।’’
‘‘मैं पिछले 8 साल से यह काम कर रहा हूँ और मैंने आपसे कहा कि आपने मुझे सिखाया है। सीनियर नेता बैठे हैं। कल मैंने ओला जी का भाषण सुना कितनी गहरी बात बोली उन्होंने, और युवा भी थे, उन्होंने ने भी गहरी बात बोली। चिदंबरम जी थे और उन्होंने भी गहरी बात बोली, एंटोनी जी थे उन्होंने ने गहरी बात बोली। यहाँ पर कैपेबिलिटी की कोई कमी नहीं है, गहराई की कोई कमी नहीं है और जिस प्रकार यह पार्टी सोचती है, जितनी डेप्थ इस पार्टी में है और कहीं नहीं है। पार्लियामेंट में देखते हैं, सब जगह देखते हैं।’’
‘‘और मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि मैं सब कुछ नहीं जानता हूं। दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं, जो सब कुछ जानता हो। कांग्रेस पार्टी में करोडों लोग हैं। कहीं न कहीं जानकारी ज़रूर है। मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि मैं उस जानकारी को ढूंढूंगा। सीनियर नेताओं से पूछूंगा, शीला जी यहां बैठी हैं, गहलोत जी बैठे हैं, सब बैठे हैं, उन सब से पूछूंगा और आपसे सीखूंगा, क्योंकि इस पार्टी का इतिहास आपके अंदर है, इस पार्टी की सोच आपके अंदर है और मैं सिर्फ़ आपकी आवाज़ को आगे बढ़ाऊंगा। जो सुनाई देगा, उसे आगे बढ़ाऊंगा। और फ़ेयरनेस की बात होती है, कल मैंने मीटिंग में कहा कि कचहरी में दो लोग होते हैं। एक लॉयर होता है, दूसरा जज होता है। मैं जज का काम करूंगा, वकील का काम नहीं करूंगा।…’’
राहुल जी! उपाध्यक्ष बनने के पांच साल बाद 16 दिसंबर 2017 को आप कांग्रेस-अध्यक्ष बन गए। फिर डेढ़ साल बाद 3 जुलाई 2019 को आपने पार्टी-अध्यक्ष पद छोड़ने की ट्वीट-घोषणा कर दी। सोनिया जी दो बरस से अंतरिम कामकाज संभाले हुए हैं। उनकी सहालियत तो बेजोड़ है, मगर आपकी अनुपस्थिति कांग्रेस को तक़रीबन एक यतीमखाने में तब्दील कर चुकी है। मुझे तो नहीं मालूम, मगर आपको बेहतर पता होगा कि साढ़े आठ साल पहले जो सोच कर आप चले थे, वह बीच में कहां और क्यों बिखर गया? लेकिन इतना ज़रूर मैं जानता हूं कि अगर अब भी आप अपने कोप-भवन में ही बैठे रहे तो न तो कांग्रेस के पितरों की आत्मा से न्याय करेंगे और न आने वाली नस्लों से इंसाफ़। इतने कर्तव्य-विमुख तो आप कभी लगते नहीं थे! अपने चिरंतन कर्तव्य-बोध की पुकार सुनिए, राहुल जी! माफ़ कीजिए, वरना इतिहास आपको माफ़ नहीं करेगा। (लेखक न्यूज-व्यूज़ इंडिया के संपादक और कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी हैं।)
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